Ek bahut achhi kavita mili hai. Aap bhi padhiye.
*ना कोई इलाज, ना टीका ना इसकी कोई दवाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
*काम कर रहे हैं घर का मालिक मालकिन*
*मुफ्त में पगार ले रही काम वाली बाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
*काम धंधे का है मीटर डाउन,*
*फुल ड्यूटी है पाजामा और गाउन*
*अलमारी में बंद पड़े, हंस रहे पेंट शर्ट और टाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
*रूक गये सारे सैर सपाटे, बंद हो गई सब विदेश यात्राएं*
*अब तो चारों धाम, घर की लुगाईं है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
*बंद हो गए सारे होटल मयखाने, ना कहीं चाट ना कहीं मिठाई है*
*घर की दाल रोटी में रहो खुश, ये ही अब सबकी रसमलाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
*हाथों को धोएं बार बार, मुंह पर लगाएं मास्क*
*घर मौहल्ला शहर रखें साफ़, इसमें सबकी भलाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
*घर में रहें सुरक्षित और ऊपरवाले से करें ये प्रार्थना*
*क्योंकि जब जब मुसिबत आई हैं, उसने ही रहमत बरसाईं है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*
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