मेरा कोई मज़हब नहीं - Whatsup Poet

मेरा कोई मज़हब नहीं

मेरा कोई मज़हब नहीं ये मेरा मज़हब है
फ़क़त इंसान बने रहना, मेरा मज़हब है .

आपकी खुशी में शामिल रहूँ ज़रूरी नहीं
ग़म में साथ खड़े रहना  मेरा मज़हब  है .

फ़रेब के इस इन्तिहाई दौर मेंं मेरे दोस्तो
सिर्फ वफ़ा निभाते रहना मेरा मज़हब है .

प्यार की प्यासी ज़िंदा रूहों के लिए ही
दरिया बनके बहते रहना मेरा मज़हब है .

पैसे की अमीरी दुश्मन है इस खुदाई की
दिल से अमीर बने रहना मेरा मज़हब है .

लाख सितम ढाये ज़माने की हवा मुझ पे
फिर भी सच कहते रहना मेरा मज़हब है .

Suprabhat.....😊

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