अक्षय तृतीया पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं

*अगर मधु जैसा..* 🍝
   *मधुर परिणाम चाहियें तो,*

    *मधुमक्खियों की तरह*
                *"एक"*
      *रहना आवश्यक है॥*

*फिर चाहे बात परिवार की हो समाज की ,या धर्म की या देश की*

*अक्षय तृतीया पर्व की     हार्दिक शुभकामनाएं*👑

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अक्षय रहे *सुख* आपका,😌
अक्षय रहे *धन* आपका,💰
अक्षय रहे *प्रेम* आपका,💕
अक्षय रहे *स्वास्थ* आपका,💪
अक्षय रहे *रिश्ता* हमारा 🌈
अक्षय तृतीया की आपको और आपके सम्पूर्ण परिवार को *हार्दिक शुभकामनाएं*

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आशा का कोई विकल्प नहीं है

चार बुढिया थीं।
उनमें विवाद का विषय था कि हम में बडी कौन है ?
     जब वे बहस करते-करते थक गयीं तो उन्होंने तय किया कि पडौस में जो नयी बहू आयी है, उसके पास चल कर फैसला करवायें।
      वह चारों बहू के पास गयीं। बहू-बहू ! हमारा फैसला कर दो! कि हम में से कौन बडी है?
बहू ने कहा कि आप अपना-अपना परिचय दो!
   पहली बुढिया ने कहा: मैं भूख मैया हूं।मैं बडी हूं न?
    बहू ने कहा : कि भूख में विकल्प है, ५६व्यंजन से भी भूख मिट सकती है और बासी रोटी से भी।
   दूसरी बुढिया ने कहा: मैं प्यास मैया हूं, मैं बडी हूं न ?
     *बहू ने कहा कि प्यास में भी विकल्प है,प्यास गंगाजल और मधुर- रस  से भी शान्त हो जाती है और वक्त पर तालाब का गन्दा पानी पीने से भी प्यास बुझ जाती है।
     तीसरी बुढिया ने कहा: मैं नींद मैया हूं, मैं बडी हूं न?
   बहू ने कहा कि नींद में भी विकल्प है। नींद सुकोमल-सेज पर आती है। किन्तु वक्त पर लोग कंकड-पत्थर पर भी सो जाते हैं।
*अन्त में चौथी बुढिया ने कहा:
मैं आस (आशा) मैया हूं,मैं बडी हूं न ?
    बहू ने उसके पैर छूकर कहा कि मैया,आशा का कोई विकल्प नहीं है।
    आशा से मनुष्य सौ बरस भी जीवित रह सकता है,किन्तु यदि आशा टूट जाये तो वह जीवित नहीं रह सकता, भले ही उसके घर में करोडों की धन दौलत भरी हो।
यह आशा और विश्वास जीवन की शक्ति है।
  संकट जरूर है, वैश्विक भी है. लेकिन इसी विष में से अमृत निकलेगा।
निश्चित ही मनुष्य विजयी होगा, मनुष्यता जीतेगी।
तूफान तो आना है ...
आकर चले जाना है ..
बादल है ये कुछ पल का ...
छा कर चले जाना है !!
रुके रहिए घरों में .. सुमिरन करते रहे।
अपने लिए,
अपने अपनों के लिए !!

Funny Hindi Jokes- hansi-ke-fuhare - हसी के फुहारे - जोक्स इन हिंदी

वक़्त बड़ा बलवान होता है जहा आजकल *IPL* का स्कोर देखना था। वहां corona का *score* देख रहे  है इसमे भी
*"मुंबई इंडियन" टॉप पर है"* 😂😂😂

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*अपनी कार से बाहर जाते समय जैसे ही गूगल* *मैप( Navigation) . ON किया...*
*आवाज आयी*
*डंडे खाना हो तो दायीं ओर मुड़े*
*उठक बैठक करना हो तो बायीं ओर मुड़े*
*और दोनो ही रुट में नही जाना हो तो*
*यू टर्न लेकर चुपचाप घर की तरफ मुड़ जाये*

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घर से काम ( वर्क ऐट होम )

बॉस : फोन पर चिल्लाते हुये मेने तुमको फोन किया था । तुम्हारी पत्नी ने उस वक्त फोन उठाया था  । कहा था की तुम किचन में काम कर रहे हो। मुझे दुबारा फोन क्यों नहीं किया। 😡😡😡

एम्प्लॉय : सर मेने किया था आपकी पत्नी ने फोन उठाया था। और कहा आप कपडे धो रहे हो।

😀😀😀😀😀😀😀

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*क्या 3 मई को Lucknow खुल जायेगा*❓❓
🤔🤔🤔
🤔🤔
🤔
😳😳😳
😳😳
😳
🧐🧐🧐
🧐🧐
🧐
*खोल दो मोदी जी वरना लोग पड़े पड़े इतने पागल हो चुके है कि मैंने ऊपर लखनऊ लिखा है और ये सब इसे Lockdown ही पढ़ रहे है*

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भगवान परशुराम जयंती की आप सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं

भगवान विष्णु के छठें अवतार भगवान परशुराम जयंती की आप सभी देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। शौर्य और पराक्रम के प्रतीक भगवान परशुराम जी का जीवन हमें समानता और न्याय के पथ पर चलने तथा अन्याय और अनीति का सदैव विरोध करने की प्रेरणा देता है।


God gives and forgives and we get and forget

A construction supervisor from the 16th floor of a building was calling a worker on the ground floor.
Because of the noise, the worker did not hear him.
To draw his attention, the supervisor threw a Rs. 10 note in front of the worker.
The worker picked up the note, put it in his pocket and continued working.
Again to catch his eye, the supervisor threw down a Rs. 500 note.
Again, the same thing was repeated.

The supervisor was peeved. He picked up a small stone and threw it down on the worker. The stone hit the worker.
This time, the worker looked up & the supervisor was finally able to talk to him.

This story is the same as our life.
God from up there wants to communicate with us, but we are too busy doing our worldly jobs.
Then, he gives us small & big gifts.
We go ahead and keep them without looking up or thinking about how we got them.
In other words, we pocket our rewards, without ever thinking of thanking him.
We say we are lucky.
And when we are hit with a small stone, a metaphor for the problems that we finally encounter in life, we think of looking up and communication with him.
That’s why it is said, God gives and forgives and we get & forget. 
Has the world been hit with a small stone?
Is it a  reminder from God to communicate with him?

Remember God & be grateful to him for all that he has given us.
This too shall pass,
Stay happy, stay safe & stay blessed forever.

अच्छाई लौट कर आती है

*अच्छाई लौट कर आती है*

ब्रिटेन के स्कॉटलैंड में फ्लेमिंग नाम का एक गरीब किसान था!
 एक दिन वह अपने खेत पर काम कर रहा था। अचानक पास में से किसी के चीखने की आवाज सुनाई पड़ी ! किसान ने अपना साजो सामान व औजार फेंका और तेजी से आवाज की तरफ लपका!
 आवाज की दिशा में जाने पर उसने देखा कि एक बच्चा दलदल में डूब रहा था ! वह बालक कमर तक कीचड़ में फंसा हुआ बाहर निकलने के लिए संघर्ष कर रहा था! वह डर के मारे बुरी तरह कांप पर रहा था और चिल्ला रहा था!
 किसान ने आनन-फानन में लंबी टहनी ढूंढी! अपनी जान पर खेलकर उस टहनी के सहारे बच्चे को बाहर निकाला !
अगले दिन उस किसान की छोटी सी झोपड़ी के सामने एक शानदार गाड़ी आकर खड़ी हुई!
 उसमें से कीमती वस्त्र पहने हुए एक सज्जन उतरे ! उन्होंने किसान को अपना परिचय देते हुए कहा-  मैं उस बालक का पिता हूं और मेरा नाम राँडॉल्फ चर्चिल है।
 फिर उस अमीर राँडाल्फ चर्चिल ने कहा कि वह इस एहसान का बदला चुकाने आए हैं ।
 फ्लेमिंग किसान ने उन सज्जन के ऑफर को ठुकरा दिया । उसने कहा, मैंने जो कुछ किया उसके बदले में कोई पैसा नहीं लूंगा।
 किसी को बचाना मेरा कर्तव्य है, मानवता है , इंसानियत है और उस मानवता इंसानियत का कोई पैसा नहीं होता ।
इसी बीच फ्लेमिंग का बेटा झोपड़ी के दरवाजे पर आया ।
उस अमीर सज्जन की नजर अचानक उस पर गई तो एक विचार सूझा । उसने पूछा - क्या यह आपका बेटा है !
किसान ने गर्व से कहा- हां ! उस व्यक्ति ने अब नए सिरे से बात शुरू करते हुए किसान से कहा- ठीक है अगर आपको मेरी कीमत मंजूर नहीं है तो ऐसा करते हैं कि आपके बेटे की शिक्षा का भार मैं अपने ऊपर लेता हूं । मैं उसे उसी स्तर की शिक्षा दिलवाने की व्यवस्था करूंगा जो अपने बेटे को दिलवा रहा हूं!  फिर आपका बेटा आगे चलकर एक ऐसा इंसान बनेगा , जिस पर हम दोनों गर्व महसूस करेंगे!
 किसान ने सोचा मैं तो उच्च शिक्षा नहीं दिला पाऊंगा और ना ही सारी सुविधाएं जुटा पाऊंगा, जिससे कि यह बड़ा आदमी बन सके ।
बच्चे के भविष्य की खातिर फ्लेमिंग तैयार हो गया !
अब फ्लेमिंग के बेटे को सर्वश्रेष्ठ स्कूल में पढ़ने का मौका मिला।
 आगे बढ़ते हुए उसने लंदन के प्रतिष्ठित सेंट मेरीज मेडिकल स्कूल से स्नातक डिग्री हासिल की! आगे चलकर किसान का यही बेटा पूरी दुनिया में पेनिसिलिन का आविष्कारक महान वैज्ञानिक सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग के नाम से विख्यात हुआ।
 यह कहानी यहीं खत्म नहीं होती! कुछ वर्षों बाद, उस अमीर के बेटे को निमोनिया हो गया ।
और उसकी जान पेनिसिलीन के इंजेक्शन से ही बची! उस अमीर राँडाल्फ चर्चिल के बेटे का नाम था- विंस्टन चर्चिल , जो दो बार ब्रिटेन के प्रधानमंत्री रहे !
इसलिए व्यक्ति को हमेशा अच्छे काम करते रहना चाहिए , क्योंकि आपका किया हुआ काम आखिरकार लौटकर आपके ही पास आता है ! यानी अच्छाई पलट - पलट कर आती रहती है!
 अतः यकीन मानिए कि मानवता की दिशा में उठाया गया प्रत्येक कदम आपकी  स्वयं की चिंताओं को कम करने में मील का पत्थर साबित होगा ।

ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है

Ek bahut achhi kavita mili hai. Aap bhi padhiye.

*ना कोई इलाज, ना टीका ना इसकी कोई दवाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*

*काम कर रहे हैं घर का मालिक मालकिन*
*मुफ्त में पगार ले रही काम वाली बाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*

*काम धंधे का है मीटर डाउन,* 
*फुल ड्यूटी है पाजामा और गाउन*
*अलमारी में बंद पड़े, हंस रहे पेंट शर्ट और टाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*

*रूक गये सारे सैर सपाटे, बंद हो गई सब विदेश यात्राएं*
*अब तो चारों धाम, घर की लुगाईं है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*

*बंद हो गए सारे होटल मयखाने, ना कहीं चाट ना कहीं मिठाई है*
*घर की दाल रोटी में रहो खुश, ये ही अब सबकी रसमलाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*

*हाथों को धोएं बार बार, मुंह पर लगाएं मास्क*
*घर मौहल्ला शहर रखें साफ़, इसमें सबकी भलाई है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*

*घर में रहें सुरक्षित और ऊपरवाले से करें ये प्रार्थना*
*क्योंकि जब जब मुसिबत आई हैं, उसने ही रहमत बरसाईं है*
*ऐ इश्क तेरे टक्कर की बीमारी पहली बार आई है*

डॉ बाबासाहेब आंबेडकर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं


मिडिल क्लास के लोगो का कडवा सच आज का सत्य

*मिडिल क्लास के लोगो का कडवा सच आज का सत्य*😭😭😭

" उधार  का अमीर "  100 नम्बर की एक गाड़ी मेन रोड पर एक *दो मंजिले मकान* के बाहर आकर रुकी।
*कांस्टेबल हरीश* को फ़ोन पर यही पता लिखाया गया था।पर यहां तो सभी मकान थे। यहां पर खाना किसने मंगवाया होगा?
यही सोचते हुए हरीश ने उसी नम्बर पर कॉल बैक की।
"अभी दस मिनट पहले इस नम्बर से भोजन के लिए फोन किया गया था।आप जतिन जी बोल रहे हैं क्या? हम मकान न0 112 के सामने खड़े हैं, कहाँ आना है।"
दूसरी तरफ से जबाब आया ,"आप वहीं रुकिए, मैं आ रहा हूं।"
*एक मिनट बाद 112 न0 मकान का गेट खुला और करीब पैंसठ वर्षीय सज्जन* बाहर आए।
उन्हें देखते ही हरीश गुस्से में बोले,"आप को शर्म नही आई, इस तरह से फोन करके खाना मंगवाते हुए,गरीबों के हक का जब *आप जैसे अमीर* खाएंगे तो गरीब तक खाना कैसे पहुंचेगा।"
मेरा यहां तक आना ही बर्बाद गया।"
साहब !  *ये शर्म ही थी जो हमें यहां तक ले आयी।*
सर्विस लगते ही *शर्म* के मारे लोन लेकर घर बनवा लिया।आधे से *ज्यादा सेलरी क़िस्त* में कटती रही और आधी बच्चों की परवरिश में जाती रही।
अब *रिटायरमेंट :*=के बाद कोई *पेंशन* नही थी तो मकान का एक हिस्सा किराये पर दे दिया।अब लाक डाउन के कारण किराया भी नही मिला।बेटे की सर्विस न लगने के कारण जो फंड मिला था उससे बेटे को व्यवसाय करवा दिया और वो जो भी कमाता गया व्यवसाय बड़ा करने के चक्कर में उसी में लगाता गया और कभी बचत करने के लिए उसने सोचा ही नही।  *अब  20 दिन से वो भी ठप्प है।* पहले साल भर का गेंहू -चावल भर लेते थे पर बहू को वो सब ओल्ड फैशन लगता था तो शर्म के मारे दोनो टँकी कबाड़ी को दे दीं। *अब बाजार से दस किलो पैक्ड आटा और पांच किलो चावल* ले आते हैं।राशन कार्ड बनवाया था तो बच्चे वहां से शर्म के मारे राशन उठाने नही जाते थे कि कौन लाइन लगाने जाय इसलिए वो भी निरस्त हो गया।जन धन अकाउंट हमने ही बहू का खोलवा दिया था ,पर उसमें एक भी बार न तो जमा हुआ न ही निकासी हुई और खाता बन्द हो गया।इसलिये सरकार से आये हुए पैसे भी नही निकाल सके। *मकान होने के कारण शर्म के मारे किसी सामाजिक संस्था से भी मदद नही मांग सकते थे* कल से जब कोई रास्ता नहीं दिखा और सुबह जब *पोते को भूख* से रोते हुए देखा तो सारी शर्म एक किनारे रख कर 112 डायल कर दिया।इन दीवारों ने *हमको अमीर तो बना दिया साहब ! पर अंदर से खोखला कर दिया* मजदूरी कर नहीं सकते थे और *आमदनी इतनी कभी हुई नही की बैंक में* इतना जोड़ लेते की कुछ दिन बैठकर जीवन व्यतीत कर लेते।आप ही बताओ ! मैं क्या करता।कहते हुए *जतिन जी फफक पड़े।#*
हरीश को समझ नहीं आ रहा था कि क्या बोले।वो चुपचाप गाड़ी तक गया और लंच पैकेट निकालने लगा। तभी उसे याद आया कि उसकी पत्नी ने कल राशन व घर का जो भी सामान मंगवाया था वो कल से घर न जा पाने के कारण  डिग्गी में ही पड़ा हुआ है।उसने डिग्गी खोली, सामान निकाला और लंच पैकेट के साथ साथ सारा सामान जतिन के गेट पर रखा और बिना कुछ बोले गाड़ी में आकर बैठ गया।गाड़ी फिर किसी ऐसे ही *भाग्यहीन अमीर का घर ढूंढने जा रही थी। ये आज के मध्यम वर्ग की वास्तविक स्थिति है*

         *🌹राम राम जी🌹*

हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं



जयंती उनकी होती है जो दिवंगत हो चुके होते हैं।

जीवित लोगों का जन्मोत्सव मनाया जाता है।
🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

आप सभी को हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं




महावीर जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

आप सभी को
 🙏🏻  *महावीर जयंती*
     *जन्मकल्याणक पर्व* 🙏🏻
🎉 की हार्दिक शुभकामनाएं 🎉
✋🏻 भगवान महावीर स्वामी जी 🤚🏻   
      आपके जीवन में खुशहाली ,समृद्धि ,सुख ,शांति प्रदान करें एवं देश~विदेश में फैली इस महामारी से भी हम सभी को सुरक्षित रखें और जिन लोगों पर इस महामारी का प्रकोप हुआ है उन सब का स्वास्थ्य जल्द ठीक हो और अपने परिवार के साथ इस देश की प्रगति में सहयोग प्रदान करें | एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत           
   🙏🏻  *शुभकामनाएं"*🙏🏻 

*"भगवान महावीर का यही संदेश"*_
        _ *जियो और जीने दो*
         
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हम कैसे हो जाएं कि परमात्मा प्रगट हो सके

पूछा है कि हम कैसे हो जाएं कि परमात्मा प्रगट हो सके?

एक पंडित था। बहुत शास्त्र उसने पढ़े थे। बहुत शास्त्रों का ज्ञाता था। उसने एक तोता भी पाल रखा था। पंडित शास्त्र पढ़ता था, तोता भी दिन-रात सुनते-सुनते काफी शास्त्र सीख गया था। क्योंकि शास्त्र सीखने में तोते जैसी बुद्धि आदमी में हो, तभी आदमी भी सीख पाता है। सो तोता खुद ही था। पंडित के घर और पंडित भी इकट्ठे होते थे। शास्त्रों की चर्चा चलती थी। तोता भी काफी निष्णात हो गया। तोतों में भी खबर हो गई थी कि वह तोता पंडित हो गया है।

फिर गांव में एक बहुत बड़े साधु का, एक महात्मा का आना हुआ। नदी के बाहर वह साधु आकर ठहरा था। पंडित के घर में भी चर्चा आई। वे सब मित्र, उनके सत्संग करने वाले सारे लोग, उस साधु के पास जाने को तैयार हुए कुछ जिज्ञासा करने। जब वे घर से निकलने लगे तो उस तोते ने कहा, मेरी भी एक प्रार्थना है, महात्मा से पूछना, मेरी आत्मा भी मुक्त होना चाहती है, मैं क्या करूं? मैं कैसा हो जाऊं कि मेरी आत्मा मुक्त हो जाए?

सो उन पंडितों ने कहा, उन मित्रों ने कहा कि ठीक है, हम जरूर तुम्हारी जिज्ञासा भी पूछ लेंगे। वे नदी पर पहुंचे, तब वह महात्मा नग्न नदी पर स्नान करता था। वह स्नान करता जा रहा था। घाट पर ही वे खड़े हो गए और उन्होंने कहा, हमारे पास एक तोता है, वह बड़ा पंडित हो गया है।

उस महात्मा ने कहा, इसमें कोई भी आश्चर्य नहीं है। सब तोते पंडित हो सकते हैं, क्योंकि सभी पंडित तोते होते हैं। हो गया होगा। फिर क्या?

उन मित्रों ने कहा, उसने एक जिज्ञासा की है कि मैं कैसा हो जाऊं, मैं क्या करूं कि मेरी आत्मा मुक्त हो सके?

यह पूछना ही था कि वह महात्मा जो नहा रहा था, उसकी आंख बंद हो गईं, जैसे वह बेहोश हो गया हो, उसके हाथ-पैर शिथिल हो गए। धार थी तेज, नदी उसे बहा ले गई। वे तो खड़े रह गए चकित। उत्तर तो दे ही नहीं पाया वह, और यह क्या हुआ! उसे चक्कर आ गया, गश्त आ गया, मूर्च्छा हो गई, क्या हो गया? नदी की तेज धार थी--कहां नदी उसे ले गई, कुछ पता नहीं।

वे बड़े दुखी घर वापस लौटे। कई दफा मन में भी हुआ इस तोते ने भी खूब प्रश्न पुछवाया। कोई अपशगुन तो नहीं हो गया। घर से चलते वक्त मुहूर्त ठीक था या नहीं? यह प्रश्न कैसा था, प्रश्न कुछ गड़बड़ तो नहीं था? हो क्या गया महात्मा को?

वे सब दुखी घर लौटे। तोते ने उनसे आते ही पूछा, मेरी बात पूछी थी? उन्होंने कहा, पूछा था। और बड़ा अजीब हुआ। उत्तर देने के पहले ही महात्मा का तो देहांत हो गया। वे तो एकदम बेहोश हुए, मृत हो गए, नदी उन्हें बहा ले गई। उत्तर नहीं दे पाए वह।

इतना कहना था कि देखा कि तोते की आंख बंद हो गईं, वह फड़फड़ाया और पिंजड़े में गिरकर मर गया। तब तो निश्चित हो गया, इस प्रश्न में ही कोई खराबी है। दो हत्याएं हो गईं व्यर्थ ही। तोता मर गया था, द्वार खोलना पड़ा तोते के पिंजड़े का।

द्वार खुलते ही वे और हैरान हो गए। तोता उड़ा और जाकर सामने के वृक्ष पर बैठ गया। और तोता वहां बैठकर हंसा और उसने कहा कि उत्तर तो उन्होंने दिया, लेकिन तुम समझ नहीं सके। उन्होंने कहा, ऐसे हो जाओ, मृतवत, जैसे हो ही नहीं। मैं समझ गया उनकी बात। और मैं मुक्त भी हो गया--तुम्हारे पिंजड़े के बाहर हो गया। अब तुम भी ऐसा ही करो, तो तुम्हारी आत्मा भी मुक्त हो सकती है।

तो अंत में मैं यही कहना चाहूंगा: ऐसे जीएं जैसे हैं ही नहीं। हवाओं की तरह, पत्तों की तरह, पानी की तरह, बादलों की तरह। जैसे हमारा कोई होना नहीं है। जैसे मैं नहीं हूं। जितनी गहराई में ऐसा जीवन प्रगट होगा, उतनी ही गहराई में मुक्ति निकट आ जाती है।

मैंने लॉकडाऊन के दौरान सीखा

वास्तव में वह सत्य जो मैंने लॉकडाऊन के दौरान सीखा।

1. आज अमेरिका अग्रणी देश नहीं है।
2. चीन कभी विश्व कल्याण की नही सोच सकता।
3. यूरोपीय उतने शिक्षित नहीं जितना उन्हें समझा जाता था।
4. हम अपनी छुट्टियॉ बिना यूरोप या अमेरिका गये भी आनन्द के साथ बिता सकते हैं।
5. भारतीयों की  रोग प्रतिरोधक क्षमता विश्व के लोगों से बहुत ज्याद है।
6. कोई पादरी, पुजारी, ग्रन्थी,मौलवी या ज्योतिषी एक भी रोगी को नहीं बचा सका।
7. स्वास्थ्य कर्मी,पुलिस कर्मी, प्रशासन कर्मी ही असली हीरो हैं ना कि क्रिकेटर ,फिल्मी सितारे व फुटबाल प्लेयर ।
8. बिना उपभोग के विश्व में सोना चॉदी व तेल का कोई महत्व नहीं।
9. पहली बार पशु व परिन्दों को लगा कि यह संसार उनका भी है।
10. तारे वास्तव में टिमटिमाते हैं यह विश्वास महानगरों  के बच्चों को पहली बार हुआ।
11. विश्व के अधिकतर लोग अपना कार्य घर से भी कर सकते हैं।
12. हम और हमारी सन्तान बिना 'जंक फूड' के भी जिन्दा रह सकते है।
13. एक साफ सुथरा व सवचछ जीवन जीना कोई कठिन कार्य नहीं है।
14. भोजन पकाना केवल स्त्रियां ही नहीं जानती।
15. मीडिया केवल झूठ और बकवास का पुलन्दा है।
16. अभिनेता केवल मनोरंजनकर्ता हैं जीवन में वास्तविक नायक नहीं।
17.भारतीय नारी कि वजह से ही घर मंदिर बनता है।
18. पैसे की कोई वैल्यू नही है क्योंकि आज दाल रोटी के अलावा क्या कर सकते हैं।
19. भारतीय अमीरों मे मानवता कुट-कुट कर भरीं हुईं है एक दो को छोड़कर।
20. विकट समय को सही तरीक़े से भारतीय ही संभाल सकता है।
21. सामुहिक परिवार एकल परिवार से अच्छा होता है।

कोरोना लॉकडाउन में स्त्री

* लॉकडाउन में स्त्री*

दूध लाना था
मैंने कहा ATM से
पैसे निकाल कर
लाता हूँ..
घर खर्च के लिए...
इतना सुनते ही
एक आवाज आई
रुक जाओ
फिर पलंग के नीचे से
लोहे की पेटी खींच कर
और पेटी से एक पोटली
खोलकर
500 का नोट
देते हुए बोली
ये मेरे हैं, बस इतने ही हैं
इसे ले जाओ
पर ATM मत जाओ
बहुतों ने उसकी बटन दबाई होगी....
तुम बचो....
दूसरे दिन फिर कुछ
जरूरत आन पड़ी
फिर पेटी खोली
दूसरी पोटली से...
फिर 500 देते हुए बोली
ये मेरे हैं...
बस इतने ही हैं
ATM मत जाना....
लॉक डाउन के शुरुआत से
यह क्रम रोज चल रहा
रोज नई पोटली खुल रही
ATM जाने से रोक रही है
सामान बाहर ही धरवा रही
बाहर ही नहलवा रही है...
दिन में चार बार
धनिया,मिर्च, लहसुन
मंगवाना और मेरा
बुरी तरह झल्लाना
जाने कौन से खजाने से
तमाम सामान निकाले
जा रही है...
पैसे मेरे हैं, इतने ही हैं
कहकर...
मुझे देते जा रही है।
अबोध गुड़िया ने छोड़ दी
चॉकलेट फुग्गो की जिद्द
वो भी तकिया उछाल रही हैं
मिट्टी की गेंद बनाकर
दीवाल पर उछाल रही हैं!
भारत की बेटी
भारत के संस्कार
अभी से अपना रही है।
जिद्दीपन की उम्र में
संयम दिखा रही है!
आज समझ आया मुझे
धोने की पेंट से
छूटे पैसे को निकाल
जिस तिजोरी में धरती रही
वो तिजोरी आज
काम आ रही है..
जो हर घर में लापरवाहों को
भीड़ में जाने से बचा रही है।
इस भूमिका को पूरे देश में
माँ/पत्नी/भाभी/बहन
बखूबी निभा रही हैं!
ये पंक्तियां नारी शक्ति के
नाम करता हूँ,
उनके संयम को
प्रणाम करता हूँ!

कोरोना देवी को समर्पित

🌕 डुबतो सूर्यनारायण 🌕
*👉कोरोना देवी को समर्पित👈*
मोदीजी की तरह खादी में
कल हम गए एक शादी में !!!!!!!

चारों तरफ डेटॉल और फिनायल
की खुशबू महक रही थी।
सिर्फ करोना वाइरस की ही
चर्चा चहक रही थी।।

रिश्तेदार मिल रहे थे
आपस में हँसते हँसते।
हाथ मिलाने की बजाय
कर रहे थे सिर्फ नमस्ते।।

सब दूर दूर खड़े थे
शादी वाले हॉल में।
मास्क ही मास्क रखे थे
पहली पहली   स्टॉल में।।

इत्र वाले को मिला हुआ था
सैनेटाइजर छिड़कने का टास्क।
महिलाएं पहने हुए थी
साड़ी से मैचिंग वाला मास्क।।

दूल्हा दुल्हन जमे स्टेज पर
थोड़ा दूर दूर बैठकर।
वरमाला भी पहनाई गई
एक दूजे पर फेंककर।।

हमने भी इवेंट को देखा
स्क्रीन पे थोड़ा दूर से।
मेकअप दुल्हन का भी
किया गया था कपूर से।।

फेरों में भी उनके हाथ
एक दूसरे को नहीं थमाए गए।
और तो छोड़ो उनके फेरे भी
सौ मीटर दूर से कराए गये।।

इधर हम थूकने गए
अपने पान की पीक।
उधर दूल्हे को आ गई
बड़ी जोर से छींक।।

एक सन्नाटा सा छा गया
उस पंडाल में चारों ओर।
दुल्हन को गुस्सा आ गया और
चली गई नहाने मंडप को छोड़।।

माफी लगा माँगने सबसे
तब दूल्हे का बाप।
रिश्तेदार एक दूजे की
शकल रहे थे ताक।।

छोड़कर खाना भूखे ही
मेहमान घर को भागने लगे।
मेहमान तो छोड़ो हलवाई भी
बोरिया बिस्तर बाँधने लगे।।

हम शादी में जाकर भी
यारों रह गए भूखे सरीखे।
जैसी हमपर बीती वैसी
किसी पर भी ना बीते।।

करोना देवी मेरी तुमसे
एक विनती है हाथ जोड़कर।
इस दुनिया से अब तुम जाओ
जल्दी ही मुँह मोड़कर।।

लेकिन सबक जरूर  सिखाना
तुम उनको सीना तान कर।
जो मँहगा सामान बेचकर,
लूट रहे है लोगों को तेरे नाम पर।।
🙏☕गुड गोधुली बेला &Good Evening का राम राम,राधे राधे,प्रणाम् आशिर्वाद ☕🙏

दोस्तो से रिश्ता रखा करो जनाब

*एक बार एक बंदर को उदासी के कारण मरने की इच्छा हुई, तो उसने एक सोते हुए शेर के कान खींच लिये।* शेर उठा और गुस्से से दहाड़ा- “किसने किया ये..?...