श्री हनुमान: जन्मोउत्सव की हार्दिक बधाई - Whatsup Message

🌷🙏आप सभी को श्री हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं🌷🌷🌷🙏श्री हनुमान जी आप सब का जीवन मंगलमय करें 🌷🙏सुप्रभात🙏🌷🙏 राम राम जी🌷🙏जय श्री बालाजी महाराज की जय

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🌹🚩श्री हनुमान: जन्मोउत्सव की हार्दिक बधाई तधा शुभकामनाऐ 🚩 जय श्री राम

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॥ ॐ ॥ पवन तनय संकट हरण,मंगल मूरति रूप ,
        राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुरभूप।
         पवनसुत हनुमान की जय। ॥
!! ॐ!! लाल देह लाली लसे, अरूधर लाल लंगुर ।
         ब्रज देह दानव दलन , जय जय कपीसुर।।
          जय बजरंग बली।।   
!! सियावर रामचंद्र की जी !!( चैत्र पूर्णिमा 31-3-18) संकटमोचन ,श्री रामदूत, पवनपुत्र ..श्री हनुमान जी के जन्मोत्सव की हार्दिक बधाई व शुभकामनाए....💐
जय कराएं वीर बजरंगी जय श्री राम

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लुकमान की एक छोटी कहानी

लुकमान की एक छोटी कहानी है।

 लुकमान कहता है, एक मक्खी एक हाथी के ऊपर बैठ गयी। हाथी को पता न चला मक्खी कब बैठी। मक्खी बहुत भिनभिनाई, आवाज की, और कहा, ‘भाई!’ मक्खी का मन होता है हाथी को भाई कहने का। कहा, ‘भाई! तुझे कोई तकलीफ हो तो बता देना। वजन मालूम पड़े तो खबर कर देना, मैं हट जाऊंगी।’ लेकिन हाथी को कुछ सुनाई न पड़ा। फिर हाथी एक पुल पर से गुजरता था बड़ी पहाड़ी नदी थी, भयंकर गङ्ढ था, मक्खी ने कहा कि ‘देख, दो हैं, कहीं पुल टूट न जाए! अगर ऐसा कुछ डर लगे तो मुझे बता देना। मेरे पास पंख हैं, मैं उड़ जाऊंगी।’ हाथी के कान में थोड़ी-सी कुछ भिनभिनाहट पड़ी, पर उसने कुछ ध्यान न दिया। फिर मक्खी के बिदा होने का वक्त आ गया। उसने कहा, ‘यात्रा बड़ी सुखद हुई। तीर्थयात्रा थी, साथी-संगी रहे, मित्रता बनी, अब मैं जाती हूं। कोई काम हो, तो मुझे कहना।’
तब मक्खी की आवाज थोड़ी हाथी को सुनाई पड़ी। उसने कहा, ‘तू कौन है कुछ पता नहीं। कब तू आयी, कब तू मेरे शरीर पर बैठी, कब तू उड़ गयी, इसका कोई हिसाब नहीं है। लेकिन मक्खी तब तक जा चुकी थी।

लुकमान कहता है, ‘हमारा होना भी ऐसा ही है। इस बड़ी पृथ्वी पर हमारे होने न होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। मक्खी के अनुपात से भी हमारा अनुपात छोटा है। क्या भेद पड़ता है? लेकिन हम बड़ा शोरगुल मचाते हैं।  वह शोरगुल किसलिये है? वह मक्खी क्या चाहती थी? वह चाहती थी हाथी स्वीकार करे, तू भी है; तेरा भी अस्तित्व है।

हमारा अहंकार अकेले तो नहीं जी सक रहा है। दूसरे उसे मानें, तो ही जी सकता है। हम वस्त्र पहनते हैं तो दूसरों के लिये, स्नान करते हैं तो दूसरों के लिये, सजाते-संवारते हैं तो दूसरों के लिये। धन इकट्ठा करते, मकान बनाते, तो दूसरों के लिये। दूसरे देखें और स्वीकार करें कि तुम कुछ विशिष्ट हो। तुम कोई साधारण नहीं। तुम कोई मिट्टी से बने पुतले नहीं हो। तुम्हारी गरिमा अनूठी है। तुम अद्वितीय हो। अहंकार सदा इस तलाश में है-

वे आंखें मिल जाएं, जो मेरी छाया को वजन दे दें।

ओशो
बिन बाती बिन तेल – प्रवचन -17

THANK YOU GOD FOR EVERYTHING - WHATSUP STORY

There was a bird who lived in a desert, very sick, no feathers, nothing to eat and drink, no shelter to live in. One day a dove was passing by, so the sick unhappy bird stopped the dove and inquired "where are you going?" it replied " I am going to heaven".
So the sick bird said "please find out for me, when my suffering will  come to an end?" The dove said, "sure, I will." and bid a good bye to the sick bird. The dove reached heaven and shared the message of the sick bird with the angel incharge at the entrance gate.
 The angel said, "For the next seven years of its life the bird has to suffer like this, no happiness till then."
The dove said, "When the sick bird hears this he will get disheartened. could you suggest any solution for this."
The Angel replied, "Tell him to recite this verse "Thank u God for everything.The dove on meeting the sick bird again,  delivered the message of the angel to it .
After seven days the dove was passing again passing by and saw that bird was very happy, feathers grew on his body, a small plant grew up in the desert area, a small pond of water was also there, the bird was singing and dancing cheerfully. The dove was astonished. The Angel had said that there would be no happiness for the bird for the next seven years. With this question in mind the dove went to visit the angel at heaven's gate.
The dove put forth his query to the Angel. The Angel replied, "yes it is true there was no happiness for the bird for seven years but because the bird was reciting the verse "THANK YOU GOD FOR EVERYTHING"  in every situation, his life changed.
When the bird fell down on the hot sand it said "THANK YOU GOD FOR EVERYTHING"
When it could not fly it said, "THANK YOU GOD FOR EVERYTHING"
When it was thirsty and there was no water around, it said, "THANK YOU GOD FOR EVERYTHING"
Whatever the situation, the bird kept on repeating, "THANK YOU GOD FOR EVERYTHING" and therefore the seven years got dissolved in seven days.
When I heard this story, I felt a tremendous shift in my way of feeling, thinking, accepting and viewing life.
I adopted this verse in my life. WHATEVER the situation I faced I started reciting this verse "THANK YOU GOD FOR EVERYTHING". It helped me to shift my view from what i did not have to what i have in my life.
For instance; if my head pains I THANK GOD that the rest of my body is completely fine and healthy and I notice that the headache does not bother me at all.
In the same manner i started using this verse in my relationships (whether family, friends, neighbours, colleagues ) finances, social life, business and everything with which I can relate. I shared this story with everyone I came in touch with and it brought a great shift in their behaviour too.
This simple verse really had a deep impact on my life, i started feeling how blessed I am, how happy I am, how good life is.
The purpose of sharing this message is to make all of us aware of how powerful the attitude of gratitude is. It can reshape our lives.
 Lets recite this verse continuously to experience the shift in our lives.
So be grateful, and see the change in your attitude.
Be humble, and you will never stumble ... 😊best wishes always to all of you my friends & take care 👍

संसार जमता ही नही , वह एक प्रशिक्षण है

|| संसार जमता ही नही , वह एक प्रशिक्षण है ||

एक महिला एक दुकान पर बच्चों के खिलौने खरीद रही है। एक खिलौने को वह जमाने की कोशिश कर रही है, जो टुकड़े —टुकड़े में है और जमाया जाता है। उसने बहुत कोशिश की, उसके पति ने भी बहुत कोशिश की; लेकिन वह जमता ही नहीं। आखिर उसने दुकानदार से पूछा कि सुनो, पांच साल के बच्चे के लिए हम यह खिलौने खरीद रहे हैं; न मैं इसको जमा पाती हूं न मेरे पति जमा पाते हैं। मेरे पति गणित के प्रोफेसर हैं। अब और कौन इसको जमा पाएगा? मेरा पांच साल का बच्चा इसको कैसे जमाएगा?

उस दुकानदार ने कहा, सुनें, परेशान न हों। यह खिलौना जमाने के लिए बनाया ही नहीं गया। यह तो बच्चे के लिए एक शिक्षण है कि दुनिया भी ऐसी ही है, कितना ही जमाओ, यह जमती नहीं। यह तो बच्चा अभी से सीख ले जीवन का एक सत्य.। इसको जमाने की कोशिश करेगा बच्चा, हजार कोशिश करेगा, मगर यह जमाने के लिए बनाया ही नहीं गया, यह जम सकता ही नहीं। इसमें तुम चूकते ही जाओगे। इसमें हार निश्चित है।

संसार एक प्रशिक्षण है। यह जमने को है नहीं। यह कभी जमा नहीं। यह सिकंदर से नहीं जमा। यह नेपोलियन से नहीं जमा। यह तुमसे भी जमने वाला नहीं है। यह किसी से कभी नहीं जमा। अगर यह जम ही जाता तो बुद्ध, महावीर छोड़ कर न हट जाते, उन्होंने जमा लिया होता। बुद्ध—महावीरों से नहीं जमा, तुमसे नहीं जमेगा। यह जमने को है ही नहीं। यह बनाया ही इस ढंग से गया है कि इसमें हार सुनिश्चित है, विषाद निश्चित है।

यह जागने को बनाया गया है कि तुम देख—देख कर, हार—हार कर जागो। एक दिन, जिस दिन तुम जाग जाओगे, तुम्हें यह समझ आ जाएगी कि यह जमता ही नहीं—नहीं कि मेरे उपाय में कोई कमी है, नहीं कि मैंने मेहनत कम की; नहीं कि मैं बुद्धिमान पूरा न था, नहीं कि मैं थोड़ा कम दौड़ा, अगर थोड़ा और दौड़ता तो पहुंच जाता। जिस दिन तुम समझोगे यह जमने को बना ही नहीं, उस दिन विषाद मिट जाएगा। उस दिन सब भीतर की पराजय, हार, सब खो जाएगी। उस दिन तुम खिलखिला कर हसोगे। तुम कहोगे, यह भी खूब मजाक रही!

इस मजाक को जान कर ही हिंदुओं ने जगत को लीला कहा। खूब खेल रहा! इस संसार से तुम जब तक अपेक्षा रखे हो, तब तक बेचैनी है।

ओशो,
अष्टावक्र महागीता

( साभार : Nivi Niveditha )

गीता-दर्शन भाग एक, अध्‍याय—3 प्रवचन 28

Have a good day friends!

एक वृक्ष है। उसके पत्ते हमें दिखाई पड़ रहे हैं। पत्तों के पार शाखाएं हैं। शाखाएं पत्तों से ज्यादा शक्तिशाली हैं। आप पत्तों को काट दें, नए पत्ते शाखाओं में तत्काल आ जाएंगे। आप शाखा को काटें, तो नई शाखा को आने में बहुत मुश्किल हो जाएगी। शाखा पत्तों से शक्तिशाली है, वह पत्तों के पार है, पत्तों के पूर्व है, पत्तों से पहले है। पत्तों के प्राण शाखा में हैं, शाखा का प्राण पत्तों में नहीं है। शाखा को काटते ही पत्ते सब मर जाएंगे; पत्तों को काटने से शाखा नहीं मरती। पत्ते शाखा के बिना नहीं हो सकते हैं, शाखा पत्तों के बिना हो सकती है।

फिर शाखा से और नीचे चलें, तो पींड है वृक्ष की। पींड शाखाओं के पार है। पींड शाखाओं के बिना हो सकती है, लेकिन शाखाएं बिना पींड के नहीं हो सकती हैं। और पींड के नीचे चलें, तो जड़ें हैं। जड़ें पींड के भी पार हैं। पींड को भी काट दें, तो नए अंकुर आ जाएंगे; लेकिन जड़ों को काट दें, तो फिर नए अंकुर नहीं आएंगे। पींड के बिना जड़ें हो सकती हैं, जड़ों के बिना पींड नहीं हो सकती। जो जितना पार है, वह उतना शक्तिशाली है। जो जितना आगे है, वह उतना कमजोर है। जो जितना पीछे है, वह उतना शक्तिशाली है। असल में शक्तिशाली को पीछे रखना पड़ता है, क्योंकि वह सम्हालता है।

इसलिए कृष्ण कहते हैं, इंद्रियों के पीछे मन है। मन शक्तिशाली है अर्जुन इंद्रियो से बहुत ज्यादा। इसलिए अगर मन चाहे, तो किसी भी इंद्रिय को तत्काल रोक सकता है। और जब मन सक्रिय होता है, तो कोई भी इंद्रिय तत्काल रुक जाती है। आपके घर में आग लगी है, आप रास्ते से भागे चले जा रहे हैं। रास्ते पर कोई मिलता है, कहता है, नमस्कार! आपको दिखाई नहीं पड़ता है। आंखें पूरी ठीक हैं। नमस्कार करता है, कान दुरुस्त हैं, सुनाई नहीं पड़ता है। आप भागे जा रहे हैं। क्यों?

मन कहीं और है, मन अटका है, मकान में आग लगी है। अब यह वक्त नमस्कार करने का नहीं है और न लोगों को रास्ते पर देखने का है। कल वह आदमी मिलता है और कहता है, रास्ते पर मिले थे आप। बड़े पागल जैसे मालूम पड़ते थे। देखा, फिर भी आपने देखा नहीं; सुना, फिर भी आपने जवाब नहीं दिया। बात क्या है? नमस्कार की, आप कुछ बोले नहीं? आप कहते हैं, न मैंने सुना, न मैंने देखा। मकान में आग लगी थी, मन वहा था।

अगर मन हट जाए, तो इंद्रियां तत्काल बेकार हो जाती हैं। मन शक्तिशाली है। जहा मन है, इंद्रियां वहीं चली जाती हैं। जहा इंद्रियां हैं, वहां मन का जाना जरूरी नहीं है। आप ले जाते हैं, इसलिए जाता है। अगर आप मन कहीं ले जाएं, इंद्रियों को वहां जाना ही पड़ेगा। वे कमजोर हैं, उनकी शक्ति मन से आती है, मन की शक्ति इंद्रियों से नहीं आती।

फिर कृष्ण कहते हैं, मन के पार बुद्धि है। बुद्धि जहां हो, मन को वहां जाना पड़ता है। बुद्धि जहां न हो, वहा मन को जाने की कोई जरूरत नहीं। लेकिन हमारी हालत उलटी है। मन जहां जाता है, वहीं हम बुद्धि को ले जाते हैं। मन कहता है, यह करो, हम बुद्धि से कहते हैं कि अब इसके लिए दलील दो कि क्यों और कैसे करें। मन बताता है करने के लिए और बुद्धि सिर्फ जस्टीफिकेशन खोजती है। बुद्धि से हम पूछते हैं कि चोरी करना है, तुम बताओ तर्क क्या है? तो बुद्धि कहती है कि सब धन चोरी है। जिनके पास है, उनकी भी चोरी है। तुम भी चोरी करो, हर्ज क्या है? हम बुद्धि से मन का समर्थन खोजते हैं।

कृष्ण कहते हैं, बुद्धि मन के पार है। है ही, क्योंकि जहां मन भी नहीं रह जाता, वहां भी बुद्धि रहती है। रात जब आप गहरी प्रगाढ़ निद्रा में खो जाते हैं, तो मन नहीं रह जाता। स्वप्न नहीं रह जाते, विचार नहीं रह जाते। मन गया। मन तो विचारों का जोड़ है। लेकिन सुबह उठकर आप कहते हैं कि रात बड़ा आनंद रहा, बड़ी गहरी नींद आई। न स्वप्न आए, न विचार उठे। किसको पता चला फिर कि आप गहरी नींद में रहे? किसने जाना आनंद था वह बुद्धि ने जाना।

बुद्धि मन के भी पार है। जो समर्थ हैं, वे बुद्धि से मन को चलाते हैं, मन से इंद्रियों को चलाते हैं। जो अपने सामर्थ्य को नहीं पहचानते और अपने हाथ से असमर्थ बने हैं, उनकी इंद्रियां उनके मन को चलाती हैं, उनका मन उनकी बुद्धि को चलाता है। वे शीर्षासन में जीते हैं; उलटे खडे रहते हैं। फिर उनको अगर सारी दुनिया उलटी दिखाई पडती है, तो इसमें किसी का कोई कसूर नहीं है।

गीता-दर्शन
 भाग एक,
अध्‍याय—3
प्रवचन 28
OSHO

रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं - Whatsup Massage and Photo

*राम जिनका नाम है, अयोध्या जिनका धाम है;*
*ऐसे रघुनंदन को हमारा प्रणाम है;*
*आपको और आपके परिवार को राम नवमी की शुभ कामनायें।*
*🚩🚩🚩जय श्री राम🚩🚩🚩*

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Indian Premier League 2018 Schedule - IPL 2018

⚡ *INDIAN PREMIER LEAGUE  2018*⚡

        🎄🎄  *_Schedule_*  🎄🎄

*Date*                 *Team*                  *Time*

*07.04.18       MI VS CSK        8.00 PM*
*08.04.18     DD VS KXIP        4.00 PM*
*08.04.18     KKR VS RCB       8.00 PM*
*09.04.18      SRH VS RR        8.00 PM*
*10.04.18     CSK VS KKR       8.00 PM*
*11.04.18        RR VS DD         8.00 PM*
*12.04.18       SRH VS MI        8.00 PM*
*13.04.18    RCB VS KXIP       8.00 PM*
*14.04.18        MI VS DD          4.00 PM*
*14.04.18     KKR VS SRH       8.00 PM*
*15.04.18      RCB VS RR         4.00 PM*
*15.04.18    KXIP VS CSK       8.00 PM*
*16.04.18      KKR VS DD         8.00 PM*
*17.04.18      MI VS RCB         8.00 PM*
*18.04.18      RR VS KKR         8.00 PM*
*19.04.18    KXIP VS SRH      8.00 PM*
*20.04.18     CSK VS RR         8.00 PM*
*21.04.18    KKR VS KXIP      4.00 PM*
*21.04.18      DD VS RCB        8.00 PM*
*22.04.18     SRH VS CSK      4.00 PM*
*22.04.18        RR VS MI         8.00 PM*
*23.04.18     KXIP VS DD        8.00 PM*
*24.04.18      MI VS SRH        8.00 PM*
*25.04.18     RCB VS CSK       8.00 PM*
*26.04.18    SRH VS KXIP      8.00 PM*
*27.04.18      DD VS KKR        8.00 PM*
*28.04.18       CSK VS MI        8.00 PM*
*29.04.18       RR VS SRH       4.00 PM*
*29.04.18     RCB VS KKR      8.00 PM*
*30.04.18       CSK VS DD       8.00 PM*
*01.05.18       RCB VS MI       8.00 PM*
*02.05.18        DD VS RR        8.00 PM*
*03.05.18     KKR VS CSK      8.00 PM*
*04.05.18      KXIP VS MI       8.00 PM*
*05.05.18     CSK VS RCB      4.00 PM*
*05.05.18      SRH VS DD       8.00 PM*
*06.05.18       MI VS KKR       4.00 PM*
*06.05.18     KXIP VS RR       8.00 PM*
*07.05.18     SRH VS RCB     8.00 PM*
*08.05.18      RR VS KXIP      8.00 PM*
*09.05.18       KKR VS MI       8.00 PM*
*10.05.18       DD VS SRH      8.00 PM*
*11.05.18      RR VS CSK       8.00 PM*
*12.05.18    KXIP VS KKR     4.00 PM*
*12.05.18      RCB VS DD       8.00 PM*
*13.05.18     CSK VS SRH      4.00 PM*
*13.05.18        MI VS RR         8.00 PM*
*14.05.18    KXIP VS RCB      8.00 PM*
*15.05.18      KKR VS RR        8.00 PM*
*16.05.18      MI VS KXIP       8.00 PM*
*17.05.18     RCB VS SRH      8.00 PM*
*18.05.18       DD VS CSK       8.00 PM*
*19.05.18       RR VS RCB       4.00 PM*
*19.05.18     SRH VS KKR      8.00 PM*
*20.05.18        DD VS MI         4.00 PM*
*20.05.18    CSK VS KXIP      8.00 PM*
*22.05.18       Qualifier 1        8.00 PM*
*23.05.18       Eliminator        8.00 PM*
*25.05.18        Qualifier 2       8.00 PM*
*27.05.18           FINAL           8.00 PM*

Thought of the Day - Anmol Bachan

*अगर किसी परिस्थिति के लिए*
  *हमारे पास सही शब्द नहीं हैं,*

   *तो सिर्फ ?मुस्कुरा दीजिये..*

                     *शब्द*
         *उलझा सकते हैं , पर*
              *मुस्कराहट 😊
      *हमेशा काम कर जाती है...!!*             🌹सुप्रभात🌹

        🙏🏻  *जय श्री कृष्णा*  🙏🏻
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असफल होना हार नहीं है, बल्कि असफल होके फिर प्रयास ना करना हार है
       🙏सुप्रभात मित्रों🙏
💐आपका दिन मंगलमय हो💐


हंसी के फुहारे - जोक्स इन हिंदी - Funny Hindi Jokes- hansi-ke-fuhare

पानी पूरी वाले भी कम भेदभाव नही करते है😂.अगर लड़की गोलगप्पे के बाद पानी मांगे तो पूरा कटोरी भर देते है
.
.
😋😋
.
ओर अगर लड़का मांगे को एेसे घूरते है जैसे की किडनीमांग ली हो😂😂😋😋😉😁.

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टीचर :- कल होमवर्क नही
किया तो मुर्गा बनाऊंगा।

छात्र :- सर मुर्गा तो मै नही
खाता
मटर पनीर बना लेना।

😜😜😂😂😂
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साला एक और टेंसन
अप्रैल शुरू होने बाला है

2 और बड़े काम जुड़ जाएंगे,

फ्रीज़ में बोतल भर के रखना
और
कूलर में पानी भरना

उदास पति
😭😭😭😭😭😭😭

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पति ओर पत्नी आपस में झगड़ रहे थे

पति : तु गंडकडी

पत्नी : तु गंडकडो

पास में बेठा उनका बेटा हसता हुआ
HA..HA..HA...
म घूचरयो !      🌱😜😜🌱
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😜  ';';शादी क्या है';'; 😱

बिजली के दो तार

सही जुड़े तो प्रकाश ही प्रकाश

गलत जुड़े तो
धमाके ही धमाके
😂😂😂😝😜 😜
                  बिजली विभाग।।


Risto ka Ahasas - Whatsup Video

Risto ka Ahasas - Whatsup Video


दिव्य सत्संग - पूज्य बापूजी

*_🌺दिव्य सत्संग🌸_*

*_'भगवान एक ही थे, सबमें थे, सब जगह थे तो फिर यह जगत रचकर गड़बड़ क्यों ? बन्धन में पड़ना.... मुक्ति के लिए छटपटाना.... प्रयत्न करना.... फिर मुक्त होना.... इतना दुःख... इतना सुख.... यह सब क्यों किया ?_*

*_एक सेठ था। उसने कुआँ खुदवाया ताकि लोग शीतल-शीतल जल पीएँ। पानी पीने वाले पानी पीते हैं। थोड़ा बहुत ढुलता है तो कीचड़ भी होता है। कोई मूर्ख वहाँ आकर आत्महत्या कर लेता है, कुएँ में डूब मरता है। अब लोग चिल्लाते हैं कि सेठ ने कुआँ क्यों खुदवाया ? एक आदमी मर गया, कीचड़ हो जाता है, मच्छर हो जाते हैं।_*

*_वास्तव में मच्छरों के लिए या कीचड़ या डूब मरने के लिए कुँआ नहीं था। कूँआ तो था जल पीने के लिए। जल पीने-भरने वालों ने थोड़ी अव्यवस्था की तो कीचड़ हो गया। अब सुव्यवस्था करके कीचड़ को हटाओ और कुँए का सदुपयोग करो। शीतल जल मिलेगा।_*

*_कोई बेवकूफी से कुँए में डूब मरे या कीचड़ के दलदल में फँसे उसमें कूँआ खुदवाने वाले धर्मात्मा का क्या दोष ? ऐसे ही संसार रूपी कूप बनाने वाले परमात्मा का क्या दोष ? संसार में से अनुभव लो। संसार के व्यवहार में रहते हुए परमात्मा का अमृत पीते हुए तृप्त बनो। इसलिए संसार बनाया है कि अनुभवों से गुजरते हुए आत्मलाभ कर लो। संसार की चीजों में, आसक्ति में, काम में, क्रोध में, लोभ में, मोह में, मद में, अहंकार के दलदल में कोई फँस मरे इसमें संसार रूपी कूप बनाने वाले का क्या दोष ?_*


🕉🏵🙏🕉🙏🏵🕉
*शुभ संकलन*

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*_🌺दिव्य सत्संग🌸_*

*_जैसे माँ के चार बेटे हैं। एक ने जुलाब लिया है उसको खिचड़ी देती है। दूसरे को हल जोतने खेत में जाना है उसको रोटी और प्याज देती है। तीसरा M.B.B.S. की परीक्षा देने जाता है उसको मालपूए और दूध देती है। चौथा खाने के लिए रो रहा है उसको न खिचड़ी देती है, न मालपूए और न रोटी और प्याज देती है।_*

*_उसकी तबीयत खराब है। उसको अभी भूखामरी कराना है। खाएगा तो और बीमार होगा। वह खाना माँगता है तो उसे थप्पड़ दिखाती है। कॉलेज में जाने वाला कहता है कि मुझे भूख नहीं लगी है, मुझे नहीं खाना है तो माँ उसे पुचकारती है कि, 'बेटा ! खा ले, भूख लगेगी, थक जाएगा।' उसको समझा बुझाकर दे रही है और दूसरा रो रहा है उसको नहीं देती। फिर भी माँ तो माँ ही है।_*

*_सहानुभूति तो सब बच्चों से है लेकिन सबकी उन्नति के लिए सबसे अलग-अलग व्यवहार होता है। ऐसे ही भगवान की सहानुभूति तो दैत्यों से भी है, देवों से भी है, पशुओं से भी है, पक्षियों से भी है। लेकिन उनकी उन्नति के लिए प्रकृति के व्यवहार में भिन्नता नियत की गई है।_*

*_🌷पूज्य बापूजी 🌹_*
🕉🏵🙏🕉🙏🏵🕉
*शुभ संकलन*

Report Card - A story

पापा आफिस में पहुंचे ही थे कि स्कूल से फोन आया!
सुरीली आवाज में एक मैम बोलीं –
“सर! आप की बेटी जो सेकंड क्लास में है,
मैं उसकी क्लास टीचर बोल रहीं हूँ।
आज पैरंट्स टीचर मीटिंग है। रिपोर्ट कार्ड दिखाया जाएगा।
आप अपनी बेटी के साथ टाईम से पहुंचें।”.. बेचारे पापा क्या करते।
आदेश के पाबंद… तुरंत छुट्टी लेकर, घर से बेटी को लेकर स्कूल पहुंच गए।
सामने गुलाबी साड़ी पहने,छोटी सी बिंदी लगाए, नयी उम्र की, गोरी सी लेकिन बेहद तेज मैम बैठी थी।
पापा कुछ बोल पाते कि इससे पहले लगभग डांटते हुए बोलीं -” आप अभी रुकिए, मैं आप से अलग बात करूंगी।”
पापा ने बेटी की तरफ देखा, और दोनों चुपचाप पीछे जाकर बैठ गए। “मैम बहुत गुस्से में लगती हैं” – बेटी ने धीरे से कहा। “तुम्हारा रिपोर्ट कार्ड तो ठीक है” – उसी तरह पापा भी धीरे से बोले। “पता नहीं पापा, मैंने तो देखा नहीं। “-बेटी ने अपना बचाव किया। “मुझे भी लगता है, आज तुम्हारी मैम तुम्हारे साथ मेरी भी क्लास लेंगी।” – पापा खुद को तैयार करते हुए बोले।
वो दोनों आपस में फुसफुसा ही रहे थे कि तभी मैम खाली होकर बोलीं – “हाँ! अब आप दोनों भी आ जाइए।पापा किसी तरह उस शहद भरी मिर्ची सी आवाज के पास पहुंचे। और बेटी पापा के के पीछे छुप कर खड़ी हो गई।
मैम- देखिए! आप की बेटी की शिकायत तो बहुत है लेकिन पहले आप इसकी परीक्षा की कापियां और रिपोर्ट देखिए। और बताइए इसको कैसे पढ़ाया जाये।
… मैम ने सारांश में लगभग सारी बात कह दी..
मैम- पहले इंग्लिश की कापी देखिए.. फेल है आप की बेटी।
… पापा ने एक नजर बेटी को देखा, जो सहमी सी खड़ी थी.. फिर मुस्कुरा कर बोले…
पापा – अंग्रेजी एक विदेशी भाषा है। इस अम्र में बच्चे अपनी ही भाषा नहीं समझ पाते।
… इतना मैम को चिढ़ने के लिए काफी था…
मैम- अच्छा! और ये देखिए! ये हिंदी में भी फेल है। क्यों?
… पापा ने फिर बेटी की तरफ देखा.. मानो उसकी नजरें साॅरी बोल रहीं हों…
पापा – हिंदी एक कठिन भाषा है। ध्वनि आधारित है। इसको जैसा बोला जाता है, वैसा लिखा जाता है। अब आप के इंग्लिश स्कूल में कोई शुद्ध हींदी बोलने वाला नहीं होगा…
…..पापा की बात मैम बीच में काटते हुए बोलीं…
मैम – अच्छा… तो आप और बच्चों के बारे में क्या कहेंगे जो….
इस बार पापा ने मैम की बात काट कर बोले..
पापा – और बच्चे क्यों फेल हुए ये मैं नहीं बता सकता… मै तो….
मैम चिढ़ते हुए बोली – “आप पूरी बात तो सुन लिया करो, मेरा मतलब था कि और बच्चे कैसे पास हो गये…” फेल नहीं”…अच्छा छोड़ो ये दूसरी कापी देखो आप। आज के बच्चे जब मोबाइल और लैपटॉप की रग रग से वाकिफ हैं तो आप की बच्ची कम्प्यूटर में कैसे फेल हो गई?
…. पापा इस बार कापी को गौर से देखते हुए, गंभीरता से बोले – “ये कोई उम्र है कम्प्यूटर पढ़ने और मोबाइल चलाने की। अभी तो बच्चों को फील्ड में खेलना चाहिए।
… मैम का पारा अब सातवें आसमान पर था… वो कापियां समेटते हुए बोली-” सांइस की कापी दिखाने से तो कोई फायदा है नहीं। क्योंकि मैं भी जानती हूँ कि अल्बर्ट आइंस्टीन बचपन फेल होते थे।”
… पापा चुपचाप थे…
मैम ने फिर शिकायत आगे बढ़ाई – “ये क्लास में डिस्पलिन में नहीं रहती, बात करती है, शोर करती है, इधर-उधर घूमती है।
पापा ने मैम को बीच में रोक कर, खोजती हुई निगाह से बोले…
पापा – वो सब छोड़िए! आप कुछ भूल रहीं हैं। इसमें गणित की कापी कहां है। उसका रिजल्ट तो बताइए।
मैंम-(मुंह फेरते हुए) हां, उसे दिखाने की जरूरत नहीं है।
पापा – फिर भी, जब सारी कापियां दिखा दी तो वही क्यों बाकी रहे।
मैम ने इस बार बेटी की तरफ देखा और अनमने मन से गणित की कापी निकाल कर दे दी।
…. गणित का नम्बर, और विषयों से अलग था…. 100%…..
मैम अब भी मुंह फेरे बैठी थीं, लेकिन पापा पूरे जोश में थे।
पापा – हाँ तो मैंम, मेरी बेटी को इंग्लिश कौन पढ़ाता है?
:
मैम- (धीरे से) मैं!
:
पापा – और हिंदी कौन पढ़ाता है?
:
मैम- “मै”
:
पापा – और कम्प्यूटर कौन पढ़ाता है?
:
मैम- वो भी “मैं”
:
पापा – अब ये भी बता दीजिए कि गणित कौन पढ़ाता है?
:
मैम कुछ बोल पाती, पापा उससे पहले ही जवाब देकर खड़े हो गए…
पापा – “मैं”…
:
मैम – (झेंपते हुए) हां पता है।
:
पापा- तो अच्छा टीचर कौन है????? दुबारा मुझसे मेरी बेटी की शिकायत मत करना। बच्ची है। शरारत तो करेगी ही।
:
मैम तिलमिला कर खड़ी हो गई और जोर से बोलीं-“””मिलना तुम दोनों आज घर पर, दोनों बाप बेटी की अच्छे से खबर लेती हूं”””!!!🤣🤭😀

Anmol Bachan - Whatsup Massage

*सुबह की "चाय" और बड़ों की "राय"*
     समय-समय पर लेते रहना चाहिए.....
       *पानी के बिना, नदी बेकार है*
     अतिथि के बिना, आँगन बेकार है।*
  *प्रेम न हो तो, सगे-सम्बन्धी बेकार है।*
       पैसा न हो तो, पोकेट बेकार है।
           *और जीवन में गुरु न हो*
               तो जीवन बेकार है।
                इसलिए जीवन में
                  *"गुरु"जरुरी है।*
                  *"गुरुर" नही"*
 ✍....
हँसते रहिये, हँसाते रहिये सभी का साथ, यूँ ही निभाते रहिये
🌹 *आपका दिन मंगलमय हो*🌹
Good morning

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*Today's Thought*
       *।।।ॐ।।।*
*दुनिया की सबसे सुंदर पुस्तक हम स्वयं है,*
*यदि हम स्वयं को भली भाँति पढ़ ओर समझ लें;*

*तो.............*

*दुनिया की तमाम समस्याओं का अन्त स्वतः ही हो जाएगा।*

*स्वयं की पहचान करें;*
*जिंदगी में सभी नियम-कायदे अपनी-अपनी जरूरत से तय होते हैं*
 
🙏🏻जय श्री राम🙏🏻

Thought of the day - whatsup massage

या तो मुझे रास्ता मिल जायेगा या मैं खुद रास्ता बना लूंगा, ऐसी सोच होनी चाहिए
      🙏सुप्रभात मित्रों🙏
💐आपका दिन मंगलमय हो💐

दिव्य सत्संग - Anmol Bachan

*_🌺दिव्य सत्संग🌸_*

*_देह को 'मैं' मानकर अहंकार करना नरकों के दुःखों के भीष्ण अग्नि में फँसना है। आत्मा को 'मैं' मानकर अहंकार करना अर्थात् अपने को आत्मा जानना सारे दुःखों से निवृत्त होना है। यह आत्म-अहंकार इतना शुद्ध है कि वह पूरा निरहंकारी है। जो पूरा निरहंकारी है वह पूरा अहंकार कर सकता है। जो पूरा अहंकार कर सकता है वह पूरा निरहंकारी है। पूरा अहंकार करो कि 'मैं ब्रह्म हूँ। ब्रह्मा, विष्णु और महेश में जो चैतन्य आत्मा है, परमात्मा है वही मेरा आत्मा है, वही मैं हूँ।'_*

*_यह पूरा अहंकार है। ऐसा अहंकारी किसको दुःख देगा ? किसको छोटा मानेगा ? वह महसूस करेगा की : 'मैं श्रीकृष्ण में हूँ.... मैं क्राइस्ट में हूँ... मैं राम में हूँ.... मैं रहीम में हूँ.... मैं हनुमान में हूँ.... मैं कुत्ते में भी हूँ....।' लोग तर्क करते हैं कि अगर सबमें भगवान हैं तो पति पत्नी को डाँटता क्यों है ? पत्नी पति के प्रतिकूल क्यों होती है ?_*

*_पत्नी प्रतिकूल होती है या पति प्रतिकूल होता है या पशु प्रतिकूल होता है। पशु का, पति का या पत्नी का चेतन प्रतिकूल नहीं होता। 'सबमें भगवान है तो पशु को डण्डा क्यों मारते हो ? सबमें भगवान है तो बेटे को डाँटते क्यों हो ?' लोग ऐसे तुच्छ तर्क करते हैं।_*

*_इस प्रश्न को इस प्रकार समझो। तुम्हारे अपने शरीर में तो तुम सर्वत्र हो ना? हाँ। तो अपनी आँख पर मच्छर बैठे तो उसको एक ढंग से उड़ाते हो और पैर पर मच्छर बैठे तो थप्पड़ मार कर उड़ाते हो। ऐसा क्यों ? आँख और पैर दोनों तुम्हारे ही हैं, फिर दोनों के प्रति व्यवहार में इतना पक्षपात क्यों ? अपने गाल पर हाथ आता है तो हाथ को गन्दा हुआ नहीं मानते। सुबह शोच  जाकर हाथ से सफाई करके हाथ को साबुन से धो लेते हो ? क्यों ? !_*

*_सब एक ही शरीर के अंग हैं फिर भी सबके साथ यथायोग्य भिन्न-भिन्न व्यवहार किया जाता है। ऐसे ही सर्वव्यापक ईश्वर को जानने वाले महापुरुष, ब्रह्मवेत्ता व्यवहार काल में भिन्न-भिन्न व्यवहार करते हुए दिखेंगे लेकिन परमार्थ से उनकी दृष्टि में अभिन्नता है।_*

सूफियों की एक कहानी - Whatsup Massage

  सूफियों की एक कहानी है---------

      ईसा के संबंध में। बाइबिल में तो नहीं है; लेकिन सूफियों के पास कई कहानियां हैं ईसा के संबंध में, जो बाइबिल में नहीं हैं। और बड़ी प्यारी कहानियां हैं। कहानी है कि ईसा ध्यान करने पर्वत पर गए। पर्वत बिलकुल निर्जन था; मीलों-मीलों तक किसी का कोई पता न था। लेकिन एक बूढ़ा आदमी उन्हें उस पर्वत पर मिला। एक वृक्ष के नीचे बैठा--मस्त! पूछा उस बूढ़े आदमी से: कितने दिनों से आप यहां हैं? क्योंकि वह इतना बूढ़ा था कि लगता था होगा कम से कम दो सौ साल उम्र का। उस बूढ़े ने कहा: सौ साल के करीब मुझे यहां रहते-रहते हो गए हैं। तो ईसा ने चारों तरफ देखा, न कोई मकान है, न छप्पर है। तो पूछा कि धूप आती होगी, वर्षा आती होगी...न कोई छप्पर न कोई मकान! यहां सौ साल से रह रहे हैं? कोई मकान नहीं बनाया?

तो वह बूढ़ा ज़ोर से हंसने लगा। उसने कहा: मालिक, तुम जैसे और जो पैगंबर पहले हुए हैं, उन्होंने मेरे संबंध में यह भविष्यवाणी की थी कि केवल सात सौ साल जीऊंगा। अब सात सौ साल के लिए कौन झंझट करे मकान बनाने की--केवल सात सौ साल! दो सौ तो गुजर ही गए। और जब दो सौ गुजर गए तो बाकी पांच सौ भी गुजर जाएंगे। दो और पांच में कुछ फासला बहुत तो नहीं। सात सौ साल मात्र के लिए कौन चिंता करे छप्पर बनाने की।

यह कहानी प्रीतिकर है। हम तो सत्तर साल रहते हैं तो इतनी चिंता करते हैं, इतनी चिंता करते हैं कि भूल ही जाते हैं कि यहां सदा नहीं रहना है! भूल ही जाते हैं कि मौत है, और मौत प्रतीक्षा कर रही है। और आज नहीं कल, कल नहीं परसों द्वार पर दस्तक देगी। और सब जो बनाया है छिन जाएगा। सिर्फ निर्वाण की चुनरी मौत नहीं छीन पाती। उसी के ताने-बाने बुनो। उसका ही ताना-बाना जो बुनने लगे उसे मैं संन्यासी कहता हूं।

और मेरे लिए संन्यास चुनरी है। मेरे लिए संन्यास रूखी-सूखी बात नहीं। मेरे लिए संन्यास बड़ी रस-विमुग्ध दशा है। इसलिए तो इस जगह को मैं मंदिर नहीं कहता, मैखाना कहता हूं।

बिरहिनी मंदिर दियना बार

ओशो

Workplace rules for happy life - Whatsup Massage

*Workplace rules for happy life:*

1. *Trust no one* but respect  everyone.

2. What happens in office, remain in office. *Never take office gossips* to home and vice versa.

3. *Enter office on time, leave on time*. Your desktop is not helping to improve your health.

4. *Never make Relationships* in the work place. It will always backfire.

5. *Expect nothing*. If somebody helps, feel thankful. If not, you will learn to know things on your own.

6. *Never rush for a position*. If you get promoted, congrats. If not, it doesn't matter. You will always be remembered for your knowledge and politeness, not for your designation.

7. *Never run behind office stuff*. You have better things to do in life.

8. *Avoid taking everything* on your ego. Your salary matters. You are being paid. Use your assets to get happiness.

9. It *doesn't matter how people treat you*. Be humble. You are not everyone's cup of tea.

10. In the end *nothing matters except family*, friends, home, and Inner peace.

World's Mental health day theme by WHO.
*Mental Health at work place*

कङवा सच - Whatsup Massage

*⭐कङवा सच⭐*

*●चार रिश्तेदार एक दिशा में*
*तब ही चलते हैं ,*
*जब पांचवा कंधे पर हो...!!!*

*●पूरी जिंदगी हम इसी बात में गुजार देते हैं कि चार लोग क्या कहेंगे...*
*और...*
*अंत में चार लोग बस यही कहते हैं...कि "राम नाम सत्य है...!!!* ,,                                        एक सच । 🙏🏻🙏🏻sweet morning🙂

ये जीवन इक नाटक है ,इसके सिवा कुछ भी नहीं- Whatsup Massage

ये जीवन इक नाटक है ,इसके सिवा कुछ भी नहीं
🍃🌿🐾🌴🌳🍂☘🎋🎄🌱
यहां शत्रु मित्र हो जाते हैं, मित्र शत्रु हो जाते हैं। यह संसार बड़ा अजीब गोरखधंधा है। इस गोरखधंधे से--मलूकदास कहते हैं--बिल्कुल ऊब गए; यह सब झूठ है, यह सब नाटक है! यह सब पर्दे के इस तरफ जो चल रहा है, सच्चा नहीं है, पर्दे के भीतर कुछ और ही मामला है। तुम कभी-कभी रामलीला पीछे से भी जाकर देखा करो--पर्दे के पीछे, जहां अभिनेता सजते हैं।

मेरे गांव में जब भी रामलीला होती थी तो मैंने हमेशा पीछे से ही देखी है। बाहर में क्या है, एक दफा देख ली, वही का वही खेल हर साल! मगर भीतर का खेल बड़ा अद्भुत है। मैंने सीताजी को बीड़ी के कश लगाते देखा है! बस एकदम जा रही हैं बाहर, स्वयंवर रचा जा रहा है--आखिरी कश! मैंने रावण को रामचंद्र जी को डांटते देखा है कि क्यों रे  तुझे कल मेरी तरफ देखकर बोलना था और तू देख रहा था मेरी पत्नी की तरफ!. . . पत्नी वहां देखनेवालों में, दर्शकों में बैठी होगी।. . . अगर दुबारा यह हरकत की, चटनी बना दूंगा। यह असली नाटक! इसको देखना हो तो पर्दे के पीछे देखना चाहिए।

मेरे गांव में जो मैनेजर थे वे मुझसे पूछते कि यह. . .तुम्हें पीछे से क्यों देखना है? सारी बस्ती बाहर देखती है, एक अकेले तुम हो जो कहते हो कि मुझे पीछे बैठ जाने दो! यहां पीछे क्या रखा है? मैंने कहा ः तुम फिक्र न करो। इससे मुझे बड़े गहरे सूत्र मिलते हैं।

जिंदगी को ज़रा गौर से देखो। ज़रा पर्दे उठाकर देखो। ज़रा ऊपर-ऊपर के जो ढांचे हैं, इनके भीतर झांको और तुम भी कहोगे यही

– ओशो

दोस्तो से रिश्ता रखा करो जनाब

*एक बार एक बंदर को उदासी के कारण मरने की इच्छा हुई, तो उसने एक सोते हुए शेर के कान खींच लिये।* शेर उठा और गुस्से से दहाड़ा- “किसने किया ये..?...